दीपावली पर दीप जलाने के धार्मिक कारण और पौराणिक महत्व जाने
दीपावली, जिसे रोशनी और खुशियों का पर्व कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है, जो कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि पर आता है, और यह पर्व अमावस्या तक चलता है। इस दौरान त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या—तीनों दिनों में दीप जलाना शुभ माना गया है। दीपक जलाने की यह परंपरा सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक मान्यताएँ हैं। आइए, दीपावली पर दीप जलाने के पीछे की इन मान्यताओं को विस्तार से समझें।
1. दीपोत्सव: भगवान विष्णु और गृहस्थ जीवन का पर्व
दीपावली का त्योहार भगवान विष्णु के गृहस्थ जीवन का प्रतीक है। भगवान विष्णु की कृपा से ही सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि यदि गणेश जी का पूजन न किया जाए तो लक्ष्मी जी का वास भी घर में स्थाई नहीं होता। इसलिए दीपावली के दिन दोनों का संयुक्त पूजन किया जाता है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
2. धनतेरस पर दीप जलाने का महत्व
धनतेरस के दिन शाम के समय, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, दीपदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह मान्यता है कि इस दिन दीप जलाने से मृत्यु का भय दूर होता है और घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है। हिन्दू धर्म में प्रकाश की पूजा सदियों से सूर्य और अग्नि के रूप में होती आई है, और दीप जलाने की परंपरा इसी पूजा का हिस्सा है।
3. भगवान राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक
पौराणिक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे, उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी। उनके स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने दीपक जलाए और पूरी अयोध्या नगरी को रोशनी से सजाया। यही वह दिन था, जब दीपावली पर दीप जलाने की परंपरा की शुरुआत हुई। भगवान राम की इस विजयी वापसी का स्मरण करते हुए हर वर्ष दीपावली के दिन दीपक जलाए जाते हैं।
4. दीपक के पांच तत्व और जीवन का प्रतीक
दीपक जलाने की एक खास पौराणिक मान्यता यह भी है कि दीपक पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल और वायु—इन पांच तत्वों का प्रतीक है। इन पांचों तत्वों का संतुलन ही जीवन का आधार है। दीपक की जलती हुई ज्योति जीवन के उत्थान और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। दीप जलाने से वातावरण भी शुद्ध होता है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
5. अखंड दीपक जलाने की परंपरा
दीपावली के दिन अखंड दीपक जलाने की भी विशेष मान्यता है। धनतेरस से लेकर भैया दूज तक घर में अखंड दीपक जलाने से घर की गरीबी दूर होती है और पांचों तत्वों का संतुलन बना रहता है। यह माना जाता है कि अखंड दीपक के प्रभाव से पूरे साल व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
6. सरसों के तेल का दीपक और उसका महत्व
दीपावली पर सरसों के तेल से दीपक जलाना भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि इससे वातावरण में मौजूद विषैले कीटाणुओं का नाश होता है, और वातावरण शुद्ध होता है। दीपक की लौ से उत्पन्न ऊर्जा नकारात्मकता को दूर करती है और घर में सकारात्मकता का संचार करती है।
निष्कर्ष
दीपावली पर दीप जलाने की परंपरा केवल उत्सव का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएँ छिपी हैं। यह पर्व भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और भगवान गणेश की कृपा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है। दीपक जलाने से जीवन में उजाला और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि दीपावली के इस पर्व पर दीप जलाना हर हिंदू परिवार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।