दिवाली पूजन: महत्व, समाज में भूमिका और विधि
दिवाली का पर्व भारतीय समाज में विशेष महत्व रखता है।
इसे प्रकाश का पर्व कहा जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
इस पर्व पर विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। आइए जानें दिवाली पूजन का महत्व और उसकी पूरी विधि।
दिवाली पूजन का महत्व और भारतीय समाज में भूमिका
दिवाली भारतीय समाज का एक प्रमुख पर्व है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह दिन कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है, जो अंधकार के अंत और ज्ञान व प्रकाश के आगमन का प्रतीक है। दीयों से सजा यह पर्व जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और परिवार में खुशहाली रहती है।
इसके साथ ही भगवान गणेश, जो बाधाओं का नाश करने वाले और शुभारंभ के देवता हैं, की पूजा भी होती है। यह पूजा घर में शांति, सौहार्द और समृद्धि का संदेश देती है।
दिवाली पूजन विधि: कैसे करें विधिवत पूजा
दिवाली के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से लक्ष्मी-गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए, जानते हैं कि इस पूजा को किस विधि से किया जाना चाहिए।
पूजा स्थान की सफाई: सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और चौकी को गंगाजल से शुद्ध करें।
मूर्ति स्थापना: चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करें। लक्ष्मी जी की मूर्ति गणेश जी के दाहिने तरफ होनी चाहिए। इसके साथ ही भगवान कुबेर, मां सरस्वती और एक कलश की स्थापना भी करनी चाहिए।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए आपको चाहिए - फूल, चावल, सिंदूर, धूप, दीप, मोदक, दूर्वा, मिठाई और लक्ष्मीजी को अर्पित करने के लिए कमल का फूल।
गणेश पूजन: पूजा की शुरुआत हमेशा भगवान गणेश से होती है।
- हाथ में दूर्वा और फूल लेकर "ऊँ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें।
- गणेश जी को तिलक लगाएं और मोदक अर्पित करें। "गजाननम् भूत गणादि सेवितम्" मंत्र का जाप करें।
लक्ष्मी पूजन: इसके बाद माता लक्ष्मी का पूजन करें।
- उन्हें लाल सिंदूर का तिलक लगाएं।
- "श्री सूक्त" मंत्र का पाठ करें और उन्हें कमल का फूल अर्पित करें।
कुबेर और सरस्वती पूजन: साथ ही धन के देवता कुबेर और ज्ञान की देवी सरस्वती का भी पूजन करें, ताकि घर में धन और ज्ञान की कमी न हो।
आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में लक्ष्मी-गणेश की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों में बांटें।
दीये जलाना: पूजा के बाद घर के सभी कोनों में दीये जलाएं। सबसे पहले माता लक्ष्मी के सामने 5 या 7 घी के दीये प्रज्वलित करें।
ऑनलाइन पंडित बुकिंग का महत्व
आजकल समय की कमी के कारण लोग अपने घरों में धार्मिक अनुष्ठान के लिए पंडित की बुकिंग ऑनलाइन करना पसंद करते हैं।
यह प्रक्रिया न केवल सुविधाजनक है, बल्कि सही समय पर योग्य पंडित उपलब्ध कराना भी सुनिश्चित करती है।
दिवाली के दिन भी पंडित की ऑनलाइन बुकिंग करके आप विधिपूर्वक लक्ष्मी-गणेश का पूजन कर सकते हैं, जिससे पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो।
निष्कर्ष
दिवाली का पर्व समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है।
इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।
माँ लक्ष्मी और गणेश जी की कृपा पाने के लिए इस दिवाली पूजा को विधिपूर्वक करें और अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर दें।