भगवान विश्वकर्मा की जयंती 2024: महत्व, पूजन विधि एवं मंत्र
भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रमुख वास्तुकार और शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है। वे देवताओं के सभी अस्त्र-शस्त्र, महलों और दिव्य यंत्रों के निर्माता हैं। विश्वकर्मा जी को निर्माण और सृजन के देवता के रूप में माना जाता है और उनकी जयंती विशेष रूप से शिल्पकारों, इंजीनियरों, तकनीशियनों, और कलाकारों द्वारा मनाई जाती है।
विश्वकर्मा जयंती हर वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है और इसे औद्योगिक क्षेत्रों, कारखानों, कार्यशालाओं और मशीनों की पूजा के रूप में भी देखा जाता है। 2024 में, यह दिन और भी खास होगा क्योंकि यह नई उम्मीदों और समृद्धि का प्रतीक बनेगा।
विश्वकर्मा जयंती का महत्व
भगवान विश्वकर्मा का महत्व विशेष रूप से निर्माण, उद्योग, तकनीक और यांत्रिकी के क्षेत्र में अत्यधिक माना जाता है। उन्हें श्रम और सृजन के देवता के रूप में पूजा जाता है। जो लोग निर्माण कार्य, इंजीनियरिंग, मशीनों और तकनीकी कार्यों से जुड़े होते हैं, वे इस दिन भगवान विश्वकर्मा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ताकि उनका काम सफल और समृद्ध हो।
महत्व के प्रमुख बिंदु:
- श्रम और सृजन के देवता: भगवान विश्वकर्मा को सभी निर्माण कार्यों का स्वामी माना जाता है।
- औद्योगिक विकास: इस दिन उद्योगों में समृद्धि और वृद्धि के लिए पूजा की जाती है।
- समृद्धि और सफलता का प्रतीक: इस दिन किए गए कार्यों में सफलता और शुभता आती है।
विश्वकर्मा जयंती की पूजन विधि
1. पूजन की तैयारी
विश्वकर्मा जयंती पर पूजा करने के लिए सबसे पहले कार्यस्थल और मशीनों की सफाई की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है। पूजा की तैयारी में फूल, फल, मिठाई, नारियल, धूप, दीपक और अक्षत (चावल) का प्रयोग किया जाता है।
2. पूजन सामग्री
पूजा में निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र
- फूल, धूप, दीपक
- नारियल, फल, और मिठाई
- अक्षत (चावल), सुपारी, पान के पत्ते
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल)
3. पूजन विधि
- भगवान गणेश का पूजन: पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की वंदना से की जाती है, ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए।
मंत्र:
"ॐ गं गणपतये नमः" - भगवान विश्वकर्मा की पूजा: भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराया जाता है और उनके समक्ष दीप प्रज्वलित किया जाता है। फूलों से उनकी प्रतिमा को सजाया जाता है और फल, मिठाई अर्पित की जाती है।
- मशीनों की पूजा: भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद कार्यस्थल और मशीनों की पूजा की जाती है। मशीनों पर चंदन, हल्दी और अक्षत चढ़ाकर विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।
- विश्वकर्मा मंत्र का जाप:
"ॐ आधार शक्तपे नमः।
ॐ कूमयि नमः।
ॐ अनन्तम नमः।
ॐ पृथिव्यै नमः।" - विशेष आरती: भगवान विश्वकर्मा की आरती की जाती है और सभी श्रद्धालु उनके समक्ष नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आरती मंत्र:
"जय विश्वकर्मा भगवान,
तुम हो जग के आदि कारण।
सृष्टि के कर्ता, विधाता तुम,
हम सबका है तुमसे जीवन।"
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लाभ
1. कार्यस्थल में शांति और समृद्धि
भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कार्यस्थल में सकारात्मकता आती है, जो कार्यों में सफलता और समृद्धि का प्रतीक बनता है।
2. उद्योगों और व्यापार में वृद्धि
इस दिन की गई पूजा व्यापार और उद्योगों में तरक्की लाने में सहायक होती है।
3. मशीनों और यंत्रों की सुरक्षा
भगवान विश्वकर्मा की कृपा से मशीनें और यंत्र सुरक्षित रहते हैं, जिससे उत्पादन में कोई रुकावट नहीं आती है।
4. नई तकनीकी और उन्नति
इस दिन विशेष पूजा करने से तकनीकी कार्यों में उन्नति होती है और नए आविष्कारों की दिशा में प्रगति होती है।
2024 में विश्वकर्मा जयंती का उत्सव
2024 में विश्वकर्मा जयंती का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। लोग अपने-अपने कार्यस्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करेंगे और उनके आशीर्वाद से समृद्धि की कामना करेंगे। विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में इस दिन का महत्व और अधिक होता है।