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कालसर्प दोष शांति पूजन विधि: महत्व, लक्षण, और विस्तृत प्रक्रिया

कालसर्प दोष शांति पूजन विधि: महत्व, लक्षण, और विस्तृत प्रक्रिया

कालसर्प दोष क्या है?

कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं। यह दोष किसी व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं, और मानसिक तनाव। यह दोष जीवन के हर क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, इसलिए इसे शांत करने के लिए विशेष कालसर्प दोष शांति पूजन किया जाता है।

कालसर्प दोष के प्रकार

कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रमुख 12 प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • अनंत कालसर्प दोष
  • कुलिक कालसर्प दोष
  • वासुकी कालसर्प दोष
  • शंखपाल कालसर्प दोष
  • पद्म कालसर्प दोष
  • महापद्म कालसर्प दोष
  • तक्षक कालसर्प दोष
  • कर्कोटक कालसर्प दोष
  • शंखनाद कालसर्प दोष
  • घटक कालसर्प दोष
  • विषधर कालसर्प दोष
  • शेषनाग कालसर्प दोष

प्रत्येक दोष का प्रभाव और उसके समाधान का तरीका अलग-अलग होता है, इसलिए ज्योतिषाचार्य से परामर्श करके दोष की पुष्टि और पूजन विधि अपनानी चाहिए।

कालसर्प दोष के लक्षण

कालसर्प दोष के कारण जीवन में निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:

  • लगातार स्वास्थ्य समस्याएं
  • बार-बार आर्थिक नुकसान
  • करियर में रुकावट
  • पारिवारिक कलह
  • संतान सुख में बाधा
  • मानसिक तनाव और डर

कई बार लोग अपनी मेहनत के अनुसार फल नहीं पा पाते हैं या अचानक आने वाली विपत्तियों का सामना करते हैं, ये सभी कालसर्प दोष के लक्षण हो सकते हैं।

कालसर्प दोष शांति पूजन का महत्व

कालसर्प दोष शांति पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करता है। यह पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए की जाती है जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, और वे लगातार कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं।

महत्व के प्रमुख बिंदु:

  1. आध्यात्मिक और मानसिक शांति: यह पूजा मानसिक तनाव को कम करती है और आत्मिक शांति प्रदान करती है।
  2. आर्थिक स्थिरता: कालसर्प दोष से उत्पन्न आर्थिक समस्याओं का समाधान इस पूजा द्वारा संभव है।
  3. संतान सुख: जिन लोगों को संतान सुख में बाधाएं आ रही हैं, उनके लिए यह पूजा लाभदायक होती है।
  4. राहु और केतु के अशुभ प्रभावों का निवारण: कालसर्प दोष शांति पूजन राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करता है।

कालसर्प दोष शांति पूजन विधि

1. शुभ मुहूर्त का चयन

पूजन के लिए सही मुहूर्त का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाग पंचमी, महाशिवरात्रि, अमावस्या या श्रवण मास के सोमवार को यह पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

2. पूजन सामग्री

पूजन के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • नाग-नागिन की प्रतिमा
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल)
  • चंदन, धूप, कपूर, दीपक
  • बेलपत्र, धतूरा और फूल
  • वस्त्र (लाल या सफेद)
  • प्रसाद (फल, मिठाई)

3. पूजन की विधि

  1. गणपति पूजन: पूजा की शुरुआत भगवान गणेश के पूजन से होती है। यह विधि पूजा में किसी भी प्रकार की विघ्न को दूर करने के लिए आवश्यक है।
  2. राहु और केतु का अभिषेक: राहु और केतु की मूर्ति पर पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक किया जाता है और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा की जाती है।
    मंत्र:
    "ॐ राहवे नमः"
    "ॐ केतवे नमः"
  3. नाग-नागिन का पूजन: नाग-नागिन की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते हैं और उनके आगे दीप जलाकर मंत्रोच्चारण किया जाता है। नागदेवता से क्षमा प्रार्थना और शांति की प्रार्थना की जाती है।
  4. विशेष मंत्र जाप: पूजन के दौरान राहु-केतु को शांत करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। मंत्रों का 108 बार जाप किया जाना चाहिए।
    राहु मंत्र: "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः"
    केतु मंत्र: "ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः"
  5. हवन: पूजन की समाप्ति पर हवन किया जाता है, जिसमें गाय के घी, चंदन और विशेष जड़ी-बूटियों से आहुति दी जाती है। हवन के समय राहु और केतु के विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  6. अर्घ्य और विसर्जन: अंत में भगवान को अर्घ्य अर्पित किया जाता है और पूजन के पश्चात राहु और केतु की मूर्तियों का जल में विसर्जन किया जाता है।

कालसर्प दोष शांति पूजन के लाभ

कालसर्प दोष शांति पूजन से व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह पूजन राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

प्रमुख लाभ:

  1. आर्थिक स्थिति में सुधार: इस पूजा से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति को स्थिरता प्राप्त होती है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: लगातार बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति को इस पूजन से स्वास्थ्य लाभ होता है।
  3. मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है।
  4. पारिवारिक समस्याओं का निवारण: पारिवारिक झगड़े और कलह शांत होते हैं और घर में शांति रहती है।
  5. संतान प्राप्ति: जो लोग संतान प्राप्ति में समस्या का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस पूजा से लाभ होता है।

कालसर्प दोष निवारण के अन्य उपाय

कालसर्प दोष शांति पूजन के अलावा कुछ अन्य उपाय भी हैं, जो इस दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं:

  1. राहु और केतु के मंत्रों का नियमित जाप: प्रतिदिन राहु और केतु के मंत्रों का 108 बार जाप करें।
  2. शिवलिंग पर जल अर्पित करें: प्रतिदिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाएं।
  3. नाग पंचमी के दिन नागदेवता की पूजा: नाग पंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करें और दूध अर्पित करें।
  4. रुद्राभिषेक: शिव मंदिर में रुद्राभिषेक कराएं।
  5. काले रंग के वस्त्र दान करें: राहु और केतु की शांति के लिए काले वस्त्र, काले तिल, और लोहे की वस्तुएं दान करें।

निष्कर्ष

कालसर्प दोष शांति पूजन व्यक्ति के जीवन से राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को दूर करता है। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता लाने में सहायक होती है। इस दोष के निवारण के लिए योग्य पंडित की सहायता से पूजा कराई जानी चाहिए, ताकि सभी नियमों का सही से पालन हो सके।