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जानिए दशहरे पर देवी अपराजिता की पूजा क्यों की जाती है|

जानिए दशहरे पर देवी अपराजिता की पूजा क्यों की जाती है|

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 

इस दिन रावण पर भगवान राम की विजय का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह दिन बेहद महत्वपूर्ण है, और इस दिन देवी अपराजिता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। 

इस पूजा का अपना विशेष महत्व है, जो घर में सुख-समृद्धि लाने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद करती है।

अपराजिता पूजा का महत्व

अपराजिता का शाब्दिक अर्थ है "जो कभी हार न मानने वाली हो।" देवी अपराजिता शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं। 

दशहरे के दिन उनकी पूजा करने से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने और जीत हासिल करने की शक्ति मिलती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले देवी अपराजिता की पूजा की थी और उनके आशीर्वाद से रावण को पराजित किया। 

इस पूजा को दशहरे के दिन विशेष रूप से सुख-समृद्धि और विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

दशहरे पर अपराजिता पूजा कैसे की जाती है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, दशहरे के दिन देवी अपराजिता की पूजा उत्तर-पूर्व दिशा में की जानी चाहिए। पूजा की सही विधि का पालन करना जरूरी है ताकि देवी की कृपा प्राप्त हो सके:

  • पूजा दोपहर के समय की जाती है।
  • पूजा स्थल को साफ करके, अष्टदल चक्र (कमल के आठ पत्तियों वाला चिह्न) चंदन से बनाया जाता है।
  • इस चक्र के बीच में अपराजिता का आवाहन "अपराजिताय नमः" मंत्र से किया जाता है।
  • अष्टदल के दाहिनी ओर जया और बाईं ओर विजया की पूजा की जाती है, जिनके लिए क्रमशः "क्रियाशक्त्यै नमः" और "उमायै नमः" मंत्रों का जाप होता है।
  • पूजा के साथ-साथ शस्त्र पूजन भी किया जाता है, जिससे जीवन की हर कठिनाई में विजय प्राप्त हो।

शस्त्र पूजन का महत्व

दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। 

माना जाता है कि शस्त्रों की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। 

यह परंपरा रामायण के समय से चली आ रही है, जब भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले अपने शस्त्रों की पूजा की थी।

इतिहास में भी यह परंपरा देखी गई है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी दिन मां भवानी से आशीर्वाद प्राप्त कर भवानी तलवार हासिल की थी। आज भी, भारतीय सेना दशहरे के दिन अपने शस्त्रों की पूजा करती है।

अपराजिता पूजा के लाभ

सुख-समृद्धि: देवी अपराजिता की पूजा से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।

शत्रुओं पर विजय: इस पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

आध्यात्मिक शांति: पूजा से मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

साहस और शक्ति: अपराजिता देवी की कृपा से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

निष्कर्ष

दशहरे के दिन अपराजिता पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह शक्ति और विजय का प्रतीक है। 

यह पूजा जीवन में आने वाली हर समस्या को दूर करने, सुख-समृद्धि लाने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायक मानी जाती है। 

इस दिन शस्त्र पूजन और देवी अपराजिता की आराधना करके हम अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को परास्त कर सकते हैं। 

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